नई दिल्ली, भारत; 26 जून 2024: लैंगिक बाधाओं को तोड़ने और एक शांतिपूर्ण समाज की स्थापना करने के उद्देश्य से, शांति, संस्कृति, शिक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने वाली संस्था, भारत सोका गाक्काई ने 26 जून को एक महिला संगोष्ठी का आयोजन किया।

बी एस जी मुख्यालय में आयोजित इस संगोष्ठी का शीर्षक था “सीमाओं को तोड़कर – जीवन की गरिमा के लिए एक नये समाज की रचना करती महिलाएं” इस संगोष्ठी में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि कैसे महिलाएं सामाजिक धारणाओं को बदलने में योगदान दे रही हैं, अपने इस योगदान द्वारा वे एक नये और प्रगतिशील समाज की रचना कर रही हैं तथा उसे प्रभावित कर रही हैं। चर्चा में यह खोजने की कोशिश की गई, कि कैसे लचीलापन, साहस और दृढ़ विश्वास रखने वाली महिलाएं बाधाओं को तोड़कर एक और अधिक न्यायपूर्ण और न्याय संगत दुनिया की रचना कर रही हैं।

वक्ताओं में प्रो. विजयलक्ष्मी नंदा (प्रिंसिपल – मिरांडा हाउस कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय); डॉ. रीता जैरथ (निदेशक – रिताम्बे न्यूट्रिशन प्राइवेट लिमिटेड (प्रोक्षम), मुख्य सुरक्षा एवं बाल सुरक्षा अधिकारी, एआईएफएफ आईएफबीबी प्रो एथलीट और अंतर्राष्ट्रीय जज); सुश्री अर्चना दत्ता (सामाजिक उद्यमी, सह-संस्थापक और सीईओ – पेडल ऑन, संस्थापक; सीईओ – सेकण्ड एक्ट); और सुश्री नम्रता बांगिया (वरिष्ठ निदेशक, ग्लोबल मास ट्रांजिट, एवी अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया इन्फ्रास्ट्रक्चर)।

बी एस जी की निदेशिका सुश्री राशि आहूजा ने संगोष्ठी में सम्मिलित सभी वक्ताओं और श्रोताओं का स्वागत करते हुए कहा कि आज हम मानवीय गरिमा को बनाए रखने के लिए सामाजिक मानदंडों और संरचनाओं को बदलने में महिलाओं के गहरे प्रभाव की प्रशंसा करने के लिए एकत्रित हुए हैं।

अपने बीज भाषण में प्रो विजयलक्ष्मी नंदा ने कहा किया कि “बाधाओं को तोड़ने और महिलाओं को उनकी पूरी क्षमता से विकसित करने में सहायता करने के लिए हमें समानता, सशक्तिकरण और सहानुभूति के मूल्यों के लिए समर्पित एक सक्षम सामुदायिक नेटवर्क बनाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।”

डॉ. रीता जैरथ ने कहा, “प्रत्येक जीवन एक आदर्श बदलाव लाने के लिए सचेत जागरूकता के साथ जिया जाना चाहिए ताकि ऐसी मानवता विकसित हो सके जो कमजोर वर्ग के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ा सके। यह ब्रह्मांड की सामूहिक चेतना में वृद्धि करता है । ऐसे दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए हम जो करते हैं वह गौण है और केवल एक साधन है।”

सुश्री अर्चना दत्ता ने महिलाओं को नेतृत्व करने और दूसरों को प्रेरित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “मुझे एक महिला होने और बाधाओं को तोड़कर गरिमा और सम्मान पर आधारित समाज की रचना करने पर गर्व है। मैं सभी महिलाओं को अपनी ताकत और हिम्मत को समझने, आगे बढ़ने और नेतृत्व करने तथा दूसरों को प्रेरित करने के लिए प्रोत्साहित करती हूं। साथ मिलकर, हम एक ऐसा भविष्य बना सकते हैं जहां हर महिला उन्नति कर सकेगी।”

सुश्री नम्रता बांगिया ने कहा, “सफल महिलाओं के मानस में ऐसा क्या है जो उन्हें खुद पर संदेह नहीं करने देता? मेरा मानना है कि उनका ध्यान हमेशा अपने इरादे को मजबूत करने पर रहता है। उच्च उपलब्धि हासिल करने वाली महिलाएं भय, आत्म सम्मान और आत्म विश्वास से संघर्ष करते हुए भी आगे बढ़ने के लिए दृढ़ कदम उठाती हैं।”

भारत सोका गाक्काई के अध्यक्ष श्री विशेष गुप्ता ने अपने समापन भाषण में अधिक लचीले समाज के निर्माण के लिए महिलाओं की अनूठी आवाज़ों को शामिल करने तथा उन्हें जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया । उन्होंने कहा, “जटिल वैश्विक मुद्दों से निपटने के लिए महिलाओं की अनूठी आवाज़ों और विविध दृष्टिकोणों को शामिल करना महत्वपूर्ण है। ऐसा कर के, हम एक मजबूत तथा लचीले समाज का निर्माण कर सकते हैं जो किसी भी प्रकार की चुनौती से निपटने में सक्षम होगा ।”

संगोष्ठी के प्रांगण में पेडल-ऑन द्वारा एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया। जिसमें उसके कार्यों को प्रदर्शित किया गया।